डेली संवाद, अमृतसर। Punjab News: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल (Sukhbir Badal) 24 जुलाई (यानि आज) को गोल्डन टेंपल (Golden Temple) के परिसर में स्थित श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे।
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यहां उन्होंने अकाली दल के बागी गुट द्वारा लगाए गए आरोपों पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को अपना स्पष्टीकरण सौंपा। वह करीब 12 मिनट तक अंदर रहे।
जत्थेदार ज्ञानी को माफीनामा सौंपा
इसके बाद वह बाहर निकले और सीधा गाड़ी में बैठ गए। उन्होंने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। वहीं जत्थेदार रघबीर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सुखबीर बादल की तरफ से सौंपे गए स्पष्टीकरण को 5 सिंह साहिबानों की मीटिंग में खोला और पढ़ा जाएगा।
इसके अलावा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी जत्थेदार को अपना स्पष्टीकरण सौंपा है। वरिष्ठ अकाली दल के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। जहां उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को माफीनामा सौंपा था।
शक्तियों का दुरुपयोग किया
इस माफीनामे में बागी गुट ने अकाली दल के कार्यकाल के दौरान की गई गलतियों का समर्थन करने के लिए माफी मांगी थी और आरोप लगाया था कि सुखबीर बादल ने सत्ता का आनंद लेते हुए अपने प्रभाव और शक्तियों का दुरुपयोग किया।
15 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाई गई पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक में सुखबीर बादल को 15 दिन के भीतर पेश होने का सम्मन जारी किया गया था। बीते कल ही उन्होंने अकाली दल की कोर कमेटी को भंग कर दिया था। जिसमें बागी गुट के नेता भी शामिल हैं। जिसका पोस्ट भी शेयर किया था।
माफीनामे में कबूली गलतियां
- वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत: 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचाया था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में SAD सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।
- डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी: श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले से पीछे हटना पड़ा।
- बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई: 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए।
इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। शिरोमणि अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में सफल नहीं हुए। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं।
- झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ: SAD सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था।
पुलिसकर्मी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। बताना चाहते हैं कि 2012 में बनी SAD सरकार और पिछली अकाली सरकारों ने भी राज्य में झूठे पुलिस मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच करने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक आयोग बनाकर लोगों से किए वादे विफल रहे।