डेली संवाद, उत्तराखंड। Triyuginarayan Temple: सावन का महीना भगवान शिव की पूजा का विशेष समय होता है। इस दौरान, शिव से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थानों की यात्रा की जाती है। एक ऐसा स्थान, जो इस समय विशेष रूप से चर्चा में है, वह है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का त्रियुगीनारायण मंदिर।
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यह मंदिर धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह का स्थल है। आइए इस मंदिर की विशेषताओं और इसकी महत्वता को विस्तार से समझते हैं।
Triyuginarayan Temple का इतिहास और महत्व
त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। यह प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे स्थानीय भाषा में ‘त्रिजुगीनारायण’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण कई सौ साल पहले हुआ था। मंदिर चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों और सुंदर दृश्यों से घिरा हुआ है, जो इसे एक अद्भुत स्थान बनाते हैं।
भगवान शिव और मां पार्वती की शादी
Triyuginarayan Temple के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह यहीं हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव से शादी करने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति और तपस्या देखकर भगवान शिव ने त्रियुगीनारायण मंदिर में आकर उनसे विवाह करने का निर्णय लिया। इस विशेष मौके पर एक पवित्र अग्नि (अखंड धूनी) को जलाया गया था, जो आज भी मंदिर में मौजूद है।
विवाह से पहले के अनुष्ठान
भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विवाह से पहले, भगवान विष्णु ने पार्वती के पिता हिमालय की चिंता दूर करने के लिए पार्वती के भाई के रूप में त्रियुगीनारायण आकर सभी अनुष्ठान किए। यह भगवान विष्णु का एक महत्वपूर्ण योगदान था, जो दुल्हन के भाई के कर्तव्यों की तरह था।
Triyuginarayan Temple के पवित्र कुंड
Triyuginarayan Temple में तीन प्रमुख कुंड (पानी के तालाब) हैं – रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड। इनमें से ब्रह्मा कुंड विशेष महत्व रखता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी कुंड में स्नान किया था और पवित्र जल की वर्षा की थी, जिससे भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की पवित्रता बढ़ी थी। आज भी, इस कुंड में स्नान करने से विवाह के लिए शुभता और पुण्य प्राप्त होता है।
शादी से पहले मंदिर में स्नान की परंपरा
विवाह से पहले त्रियुगीनारायण मंदिर के कुंड में स्नान करने की परंपरा है। यह परंपरा आज भी कायम है, और जो लोग शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं, वे यहां आकर कुंड में स्नान करते हैं। इसके अलावा, मंदिर के पास ‘ब्रह्म शिला’ नामक एक पत्थर भी है, जिसे भगवान ब्रह्मा द्वारा विवाह अनुष्ठान किए जाने का स्थान माना जाता है।
कैसे पहुंचें Triyuginarayan Temple?
त्रियुगीनारायण मंदिर तक पहुंचने के लिए आप इन साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
- ट्रेन: नजदीकी रेलवे स्टेशन रुद्रप्रयाग है। यहां से आप टैक्सी या स्थानीय परिवहन का उपयोग करके मंदिर पहुंच सकते हैं।
- फ्लाइट: यदि आप फ्लाइट से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको देहरादून एयरपोर्ट तक जाना होगा। इसके बाद, देहरादून से रुद्रप्रयाग तक सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं।
- बस/टैक्सी: पटना या हरिद्वार से बस या टैक्सी लेकर भी त्रियुगीनारायण पहुंचा जा सकता है। रुद्रप्रयाग से मंदिर तक टैक्सी या स्थानीय परिवहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है।