Paris Olympics: पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम पर इन दिनों देश की सारी उम्मीदें टिकी हैं। पेरिस ओलंपिक में हिस्सा ले रहे अरशद से देश को पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाने की आस है। मियां चन्नू के एक साधारण परिवार से आने वाले अरशद ने कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचा है।
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Paris Olympics: अरशद नदीम का विवादों से घिरा सफर
Paris Olympics में कदम रखने के साथ ही अरशद नदीम के सामने कई चुनौतियाँ आ खड़ी हुईं। सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, बल्कि उसके बाहर भी कई मुश्किलें आईं। ओलंपिक में आने के बाद से ही अरशद और उनकी टीम विवादों में घिरी रही है। उनके कोच ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया, पाकिस्तानी पत्रकारों के साथ खराब व्यवहार हुआ और ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भी कई समस्याएं सामने आईं।
- सबसे पहले तो अरशद की टीम का रवैया सवालों के घेरे में रहा। कोच का मीडिया से दूरी बनाना, टीम के सदस्यों का पाकिस्तानी पत्रकारों के साथ खराब व्यवहार, इन सबने देश की छवि को धूमिल किया।
- ओलंपिक के उद्घाटन समारोह से पहले ही अरशद और उनकी टीम की तैयारियों में कमियां दिखाई देने लगीं। ठंड लगना, बस न मिलना जैसी छोटी-छोटी बातें भी सुर्खियां बन गईं।
- खेल जगत में ब्रांड्स का साथ बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन अरशद और उनकी टीम इस मोर्चे पर भी पीछे रही। अच्छे प्रबंधन की कमी की वजह से कई बड़े ब्रांड्स से हाथ धोना पड़ा।
देश की उम्मीदें और खिलाड़ी की जिम्मेदारी
पाकिस्तान के लोग अरशद से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि अरशद न सिर्फ खेल में, बल्कि जीवन में भी एक आदर्श बनें। लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि खिलाड़ी और उनकी टीम भी अपनी जिम्मेदारी समझे।
खेल के मैदान के अलावा भी एक खिलाड़ी की छवि का बहुत महत्व होता है। कैसे पेश आना है, क्या बोलना है, यह सब देश की इमेज से जुड़ा होता है। अरशद और उनकी टीम को इस बात का ख्याल रखना चाहिए।
अंत में, सबसे जरूरी है खेल का प्रदर्शन। अगर अरशद पदक जीत लेते हैं तो कई बातें माफ हो सकती हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो क्रिटिसिजम का सामना करना पड़ सकता है।