डेली संवाद, नई दिल्ली। Child Marriage Prevention Act: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने बाल विवाह रोक कानून पर अहम फैसला सुनाया है।
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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पर्सनल लॉ के जरिए बाल विवाह रोकथाम कानून को नहीं रोका जा सकता। बच्चों से जुड़ी शादियां उनके अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन करती हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना होंगे नए सीजेआई
बता दे कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अगले महीने की 10 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए सीजेआई होंगे। इससे पहले उन्होंने बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर एक अहम फैसला सुनाया।
नाबालिगों की अपनी जिंदगी चुनने की आजादी का उल्लंघन
सीजेआई की बेंच ने कहा कि बाल विवाह रोक कानून को पर्सनल लॉ के जरिए खत्म नहीं किया जा सकता। इस तरह की शादियां नाबालिगों की अपनी जिंदगी चुनने की आजादी का उल्लंघन है। अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
2006 में केंद्र सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम लाया गया था। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह अधिनियम का स्थान ले लिया। इस कानून का उद्देश्य बाल विवाह को रोकना था। ताकि इतनी कम उम्र में उन्हें शादी जैसी जिम्मेदारियों से मुक्त कर शिक्षा की ओर ले जाया जा सके।