Aaj Ka Panchang: आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, शनिदेव की करें पूजा; पढ़ें पंचांग

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर। Aaj Ka Panchang 15 March 2025: आज 15 मार्च 2025 की तारीख है, दिन है शनिवार (Saturday)। आज यानी शनिवार 15 मार्च को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर सुबह से मंदिरों में शनिदेव (Lord Shanidev) की पूजा की जा रही है।

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साथ ही साधक मनोवांछित फल पाने के लिए शनिवार का व्रत रख रहे हैं। इस व्रत को करने से करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस योग में शनिदेव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ऐसे में चलिए पंडित अनिल शुक्ला से जानते हैं आज का पंचांग और राहुकाल के विषय में।

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 15 March 2025)

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 29 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर

चन्द्रास्त- सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 55 मिनट से 05 बजकर 43 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 51 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल – सुबह 09 बजकर 30 मिनट से 11 बजे तक

गुलिक काल – सुबह 06 बजकर 31 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक

दिशा शूल – पूर्व

भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही हस्त नक्षत्र का भी संयोग है। इस योग में भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी। साथ ही हर शुभ काम में सफलता मिलेगी।

इन मंत्रो का करें जप

  1. ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
  2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
  3. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
    छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
  4. अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
    दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
    गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
    आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
  5. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
    ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
    ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।














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