डेली संवाद, नई दिल्ली। High Court Judgement Controversy: बीते दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मामले में सुनवाई के दौरान एक टिप्पणी की थी जिसमे कहा था कि ‘नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप नहीं है।’
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दुष्कर्म मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है। जजों ने फैसले को असंवेदनशील और अमानवीय बताया। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर अब रोक लगा दी है।
बेंच ने बुधवार को इस केस पर सुनवाई की
जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने बुधवार को इस केस पर सुनवाई की। बेंच ने कहा, “हाईकोर्ट के ऑर्डर में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय नजरिया दिखाती हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
SC ने खुद से नोटिस लिया
बता दे कि बीते दिन मंगलवार को SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुद से नोटिस लिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है। कोर्ट ने उन्हें इसके लिए नोटिस जारी किया है।
3 साल पुराना मामला
दरअसल, यूपी के कासगंज की एक महिला ने 12 जनवरी, 2022 को कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप था लगाया कि 10 नवंबर, 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कासगंज के पटियाली में देवरानी के घर गई थी। उसी दिन शाम को अपने घर लौट रही थी। रास्ते में गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक मिल गए।
पवन ने बेटी को अपनी बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने की बात कही। मां ने उस पर भरोसा करते हुए बाइक पर बैठा दिया, लेकिन रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी।


