डेली संवाद, जालंधर। Aaj Ka Panchang 24 April 2025: आज 24 अप्रैल 2025 की तारीख है, दिन है वीरवार (Thursday)। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 24 अप्रैल यानी आज वरूथिनी एकादशी है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जा रही है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। वहीं, साधक अपने घर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर रहे हैं।
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वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे। आइए, वरूथिनी एकादशी हेतु पूजा का शुभ मुहूर्त एवं योग (24 April 2025 Panchang) जानते हैं।
आज का पंचांग (24 April 2025 Panchang)
- सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
- सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 52 मिनट पर
- चन्द्रोदय – रात 03 बजकर 54 मिनट पर (देर रात)
- चन्द्रास्त – दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
- दिशा शूल – दक्षिण
वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आज दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक है। इसके बाद वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं। वहीं, पारण 25 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 23 मिनट के मध्य कर सकते हैं।
ब्रह्म योग
ज्योतिषियों की मानें तो वरूथिनी एकादशी पर ब्रह्म योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह योग दोपहर 03 बजकर 56 मिनट तक है। इसके बाद इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग 25 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक है। ब्रह्म और इंद्र योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।
शिववास योग
वरूथिनी एकादशी तिथि पर शिववास योग का भी संयोग है। आज के दिन देवों के देव महादेव दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। भगवान शिव के कैलाश पर विराजमान रहने के दौरान लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
ताराबल
अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ