Jalandhar News: जालंधर नगर निगम में अधिकारी-ठेकेदार ने मिलकर कर डाला 10 करोड़ का घोटाला, स्कूटर के नंबर से कर डाला बड़ा कांड

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम (Jalandhar Municipal Corporation) में पिछले तीन साल से बहुत बड़ा घोटाला (Scam) चल रहा है। ये घोटाला नगर नगर निगम (Municipal Corporation) हेल्थ ब्रांच में किया जा रहा है, इसमें एक ठेकेदार और कुछ अधिकारी सीधे तौर पर संलिप्त है। बताया जा रहा है कि पिछले तीन साल से करीब 10 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। ये घोटाला बोगस बिलिंग के जरिए की जा रही है। बोगस बिलिंग बनाकर निगम को करीब 10 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई है। ये घोटाला अभी भी जारी है।

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जानकारी के मुताबिक जालंधर (Jalandhar) नगर निगम ने शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां, जेसीबी और टिप्पर ठेके पर ले रखा है। इसके लिए ठेकेदारों को हर महीने करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि हैल्थ ब्रांच का अधिकारी एक ठेकेदार पर ऐसा मेहरबान हुआ है कि पिछले तीन साल से एक बिल पर तीन-तीन बार भुगतान कर रहा है।

Gautam-Jain-IAS
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ठेकेदार स्कूटर से कूड़ा ढोता है

हैरानी की बात तो यह है कि उक्त ठेकेदार स्कूटर से कूड़ा ढोता है। यह हम नहीं, बल्कि RTO आफिस में दर्ज वाहन नंबर कहते हैं। क्योंकि जिन वाहन नंबरों पर कूड़ा ढोने का बिल लगा कर करोड़ों रुपए घोटाला किया जा रहा है, वह वाहन नंबर स्कूटर के हैं। हैल्थ ब्रांच से लेकर बिलिंग औऱ बिल पास करने वाले एकाउंट आफिस में बैठे कुछ अफसर उक्त ठेकेदार से मोटी कमीशन लेकर फर्जी बिल पास कर देते हैं। इस तरह तीन साल में करीब 10 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है।

जालंधर सैंट्रल हलके में सबसे ज्यादा घोटाला

सूत्र बता रहे हैं कि उक्त ठेकेदार ने जालंधर सैंट्रल हलके में सबसे ज्यादा घोटाला किया है। सैंट्रल हलके में सड़कों की सफाई, कूड़ा उठाने में करीब तीन गुना ज्यादा पैसा उक्त ठेकेदार ने हासिल किया है। यानि एक बिल पर तीन-तीन बार पेमेंट किया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम द्वारा उक्त ठेकेदार को 10 टायर वाले टिप्पर का पैसा भुगतान किया जाता है, जबकि उक्त ठेकेदार के पास 10 टावर वाला टिप्पर नहीं है। ये काम वह 6 टायर वाले टिप्पर से कर रहा है, जबकि पेमेंट 10 टायर वाले टिप्पर का ले रहा है।

निगम का एक अफसर कुछ ज्यादा ही मेहरबान

सूत्र बताते हैं कि उक्त ठेकेदार पर नगर निगम का एक अफसर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। जिससे करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है। ये घोटाला आज भी जारी है। अगर इस संबंध में मेयर वनीत धीर और कमिश्नर गौतम जैन कोई जांच करवाते हैं तो बहुत बड़े घोटालेबाज रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है। इसमें कुछ क्लर्क और अधिकारी भी बेनकाब हो सकते हैं। वहीं, विजीलैंस अगर नगर निगम जालंधर में अफसरों की जांच करे तो लुधियाना की तरह यहां भी कई अफसर जेल के सलाखों के पीछे जा सकते हैं।

 













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