डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम (Jalandhar Municipal Corporation) में पिछले तीन साल से हो रहे घोटाले की खबर डेली संवाद में प्रकाशित होने के बाद मेयर वनीत धीर (Mayor Vaneet Dhir) ने बड़ा एक्शन लिया है। मेयर वनीत धीर ने हैल्थ ब्रांच में चल रहे घोटाले को लेकर नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन (Gautam Jain, IAS) से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। कमिश्नर ने इस संबंध में हैल्थ ब्रांच के मुख्य अधिकारी डा. श्रीकृष्ण से दो दिन में रिपोर्ट तलब करते हुए चेतावनी दी है कि किसी भी करप्ट अफसर को बख्शा नहीं जाएगा।
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जालंधर के मेयर वनीत धीर ने बताया कि कमिश्नर गौतम जैन और संबंधित महकमे के अधिकारियों से साफ कहा गया है कि घोटाले में लिप्त किसी भी अफसर या प्राइवेट व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इसके लिए पूरे मामले की तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल को जो शिकायत कमिश्नर से की गई थी, उस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई, इसका भी स्पष्टीकरण अफसरों से मांगा गया है।
निगम दफ्तर में जांच शुरू
डेली संवाद में खबर प्रकाशित होने के बाद नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन ने अपने स्तर पर जांच शुरू करवा दी है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री दफ्तर से इस मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। जिससे विजीलैंस अपने स्तर पर जांच शुरू कर सकती है। हालांकि आज निगम कमिश्नर दफ्तर में विजीलैंस के एक अफसर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने बताया वे किसी अन्य केस के सिलसिले में कमिश्नर से मिलने आए थे।
हैल्थ अफसर रिकार्ड खंगालने में जुटे
नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन द्वारा हैल्थ अफसर डा. श्री कृष्ण से दो दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। इस संबंध में हैल्थ अफसर डा. श्री कृष्ण ने कहा है कि पिछले तीन साल के रिकार्ड की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि संबंधित ठेकेदार और निगम कर्मचारियों से लिखित में जवाब मांगा गया है।
ये है मामला
जालंधर (Jalandhar) नगर निगम ने शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां, जेसीबी और टिप्पर ठेके पर ले रखा है। इसके लिए ठेकेदारों को हर महीने करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि हैल्थ ब्रांच का अधिकारी एक ठेकेदार पर ऐसा मेहरबान हुआ है कि पिछले तीन साल से एक बिल पर तीन-तीन बार भुगतान कर रहा है।
ठेकेदार स्कूटर से कूड़ा ढोता है
उक्त ठेकेदार स्कूटर से कूड़ा ढोता है। यह हम नहीं, बल्कि RTO आफिस में दर्ज वाहन नंबर कहते हैं। क्योंकि जिन वाहन नंबरों पर कूड़ा ढोने का बिल लगा कर करोड़ों रुपए घोटाला किया जा रहा है, वह वाहन नंबर स्कूटर के हैं। हैल्थ ब्रांच से लेकर बिलिंग औऱ बिल पास करने वाले एकाउंट आफिस में बैठे कुछ अफसर उक्त ठेकेदार से मोटी कमीशन लेकर फर्जी बिल पास कर देते हैं। इस तरह तीन साल में करीब 10 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है।
एक हलके में सबसे ज्यादा घोटाला
सूत्र बता रहे हैं कि उक्त ठेकेदार ने एक हलके में सबसे ज्यादा घोटाला किया है। इस हलके में सड़कों की सफाई, कूड़ा उठाने में करीब तीन गुना ज्यादा पैसा उक्त ठेकेदार ने हासिल किया है। यानि एक बिल पर तीन-तीन बार पेमेंट किया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम द्वारा उक्त ठेकेदार को 10 टायर वाले टिप्पर का पैसा भुगतान किया जाता है, जबकि उक्त ठेकेदार के पास 10 टावर वाला टिप्पर नहीं है। ये काम वह 6 टायर वाले टिप्पर से कर रहा है, जबकि पेमेंट 10 टायर वाले टिप्पर का ले रहा है।