Punjab News: पंजाब विधान सभा स्पीकर ने प्रोफैसरों और पंजाबी अदाकारों के साथ मीटिंग की, जाने वजह

Daily Samvad
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Kultar Singh Sandhwan held a meeting with professors and famous Punjabi Actor

डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब विधान सभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां (Kultar Singh Sandhwan) ने श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस मनाने सम्बन्धी सुझाव प्राप्त करने के लिए प्रोफैसरों और प्रसिद्ध पंजाबी अदाकारों के साथ मीटिंग की। मीटिंग के दौरान उन्होंने सुझाव और प्रस्ताव दिए, जो सिखों के नौवें गुरू श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस मनाने के लिए श्रद्धा भावना का प्रतीक और श्रद्धा का प्रगटावा हैं। गुरू साहिब ने धार्मिक आज़ादी, बहुलवाद और मानवीय गरिमा के लिए अद्वितीय शहादत दी जो वैश्विक दुनिया के लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

Kultar Singh Sandhwan held a meeting with professors and famous Punjabi Actor
Kultar Singh Sandhwan held a meeting with professors and famous Punjabi Actor

इस समारोह का उद्देश्य…

विचार-विमर्श के दौरान, उन्होंने सलाह दी कि ‘‘श्री गुरु तेग़ बहादुर जी सम्बन्धी 350वां शहीदी दिवस: मानवता की ढाल’’ है और इस समारोह का उद्देश्य विश्व स्तर पर गुरू जी की गौरवमयी विरासत को सांझा करने हेतु सांस्कृतिक संरक्षण, इमर्सिव प्रौद्योगिकियों और भाईचारे को और नज़दीक लाना है। गुरू जी के बलिदान को दर्शाती यह श्रद्धापूर्वक पहलकदमी अंतरराष्ट्रीय समागमों में होनी चाहिए जिससे गुरू जी द्वारा दिया दया, बलिदान और अंतरधार्मिक सदभावना का संदेश शाश्वत प्रकाशस्तंभ के तौर पर लोगों का मार्गदर्शन करता रहे।

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इसके इलावा, प्रोफैसरों ने सुझाव दिया कि कि गुरू जी के संदेश को वर्चुअल अजायब घर, वर्चुअल रियलटी, संगीत, फिल्मों और विविधतापूर्ण भाषण जैसे नवीन फारमैटों के द्वारा विश्व स्तर पर प्रसारित करने के साथ-साथ गुरू जी से सम्बन्धित ऐतिहासिक स्थानों, कलाओं और साहित्य को सुरक्षित और डिजिटल रूप में संग्रहित करने के साथ-साथ एक स्थायी शैक्षिक और सांस्कृतिक संसाधन प्रोग्राम की सृजना की जाये जो दुनिया भर के लिए सुलभ हो।

ग्लोबल कान्फ़्रेंसों और आउटरीच पर ज़ोर दिया

यहाँ यह बताना उचित है कि उनके शहीदी शताब्दी समागम में धार्मिक बहुलवाद का वर्चुअल अजायब घर, एआई और बहुभाषी वृतांत का प्रयोग करते हुए इंटरऐक्टिव 3डी वॉकथ्रू, गुरू जी की यात्राओं, उनके संवादों, शहीदी और विरासत से संबंधित दृश्य और क्यू आर कोडज़ और डिजिटल कहानी सुनाने वाले फारमैटों को शामिल किया जाना चाहिए। इसके इलावा, गुरू जी की शहीदी के बेमिसाल सफ़र पर छोटी ऐनीमेटड फिल्में और वीआर दस्तावेज़ी फिल्में जैसी कलात्मक कृतियां बनाने की ज़रूरत है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि शब्द और राग श्रृंखला बनाई जानी चाहिए और इसको डिजिटल प्लेटफार्मों पर रिलीज किया जाना चाहिए और लाइव संगीत समारोह आयोजित किये जाने चाहिए। गुरू जी के बहुलवाद में योगदान पर अंतरराष्ट्रीय सिम्पोज़ियम के साथ ग्लोबल कान्फ़्रेंसों और आउटरीच पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। इसके इलावा, यूनेस्को, हारवर्ड और सिख खोज संस्थाओं के साथ सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘‘श्री गुरु तेग़ बहादुर: द सेंट आफ अदरनैस’’ शीर्षक वाली यह पुस्तक एक त्रिभाषी (पंजाबी- हिंदी- अंग्रेज़ी) उच्च-डिज़ाइन प्रकाशन बनाने का सुझाव भी दिया, जो गुरू जी के जीवन, दर्शन को पेश करेगी।

ये रहे मौजूद

और जानकारी देते हुए, उन्होंने कहा कि अपनी किस्म की पहली इंटरऐकटिव किताब सिर्फ़ एक दस्तावेज़ नहीं होगी, बल्कि यह श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के आध्यात्मिक, नैतिक और अतुल शहादत का एक जीवंत पोर्टल होगी। इसका उद्देश्य विश्वव्यापी शैक्षिक संस्थाओं, अजायब घरों और पुस्तकालयों के लिए एक शाश्वत संसाधन की पेशकश करना है और डिजिटल यादगारी बुनियादी ढांचे (अजायब घर, संगीत समारोह और भाषण) के नींव पत्थर के तौर पर काम करना है।

स्पीकर ने उजागर किया कि यह विलक्षण और एकीकृत प्रस्ताव श्री गुरु तेग़ बहादुर जी को न सिर्फ़ एक धर्म के रक्षक, बल्कि सभी धर्मों के शाश्वत रक्षक, और उनकी विनम्रता और शहादत के प्रति अपनी श्रद्धा को ज़ाहिर करने की छोटी सी कोशिश मात्र है। यह स्मरण दुनिया को एक संदेश है: गुरू जी को सिर्फ़ श्रद्धा के साथ ही नहीं, बल्कि अपने कर्मों में याद रखो। मीटिंग में प्रसिद्ध पंजाबी अदाकार एमी विर्क, प्रोफ़ैसर अमरजीत सिंह ग्रेवाल और प्रोफ़ैसर गुरविन्दर सिंह बावा और एनआरआई भाईचारे से रमनदीप सिंह खटड़ा मौजूद थे।















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