Aaj ka Panchang: आज मां कात्यायनी की करें पूजा-अर्चना, सभी तरह के कष्ट होंगे दूर; जाने पंचांग

Mansi Jaiswal
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Aaj Ka Panchang

डेली संवाद, जालंधर। Aaj ka Panchang 01 July 2025: आज 01 जुलाई 2025 की तारीख है, मंगलवार (Tuesday) का दिन है। आज यानी 01 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। हर साल इस तिथि पर गुप्त नवरात्र के दौरान मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत किया जाता है।

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धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कात्यायनी की उपासना करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। आज मंगलवार व्रत भी किया जा रहा है। मंगलवार के दिन कई योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग (Aaj ka Panchang 01 July 2025) और शुभ मुहूर्त के बारे में।

Maa Katyayani
Maa Katyayani

तिथि: शुक्ल षष्ठी

मास पूर्णिमांत: आषाढ़

दिन: मंगलवार

संवत्: 2082

तिथि: षष्ठी प्रात: 10 बजकर 20 मिनट तक

योग: व्यतिपात शाम 05 बजकर 19 मिनट तक

करण: तैतिल प्रात: 10 बजकर 20 मिनट तक

करण: गरज रात्रि 11 बजकर 04 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 27 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चंद्रोदय: सुबह 11 बजकर 07 मिनट पर

चन्द्रास्त: रात 11 बजकर 34 मिनट पर

सूर्य राशि: मिथुन

चंद्र राशि: मिथुन

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

अमृत काल: 02 जुलाई को प्रात: 03 बजकर 15 मिनट से प्रात: 05 बजे तक

अशुभ समय अवधि

गुलिक काल: दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक

यमगंडा: प्रात: 08 बजकर 56 मिनट से प्रात: 10 बजकर 40 मिनट तक

राहु काल: दोपहर 12 बजकर 54 मिनट से शाम 05 बजकर 39 मिनट तक

Maa Katyayani
Maa Katyayani

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव पूर्व फाल्गुनी में प्रवेश करेंगे…

पूर्व फाल्गुनी: प्रात: 08 बजकर 54 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: रचनात्मकता, उत्पादकता, कामुकता, रोमांटिक, सौंदर्य, ईमानदारी और अहंकार

नक्षत्र स्वामी: शुक्र

राशि स्वामी: सूर्य

देवता: भग (प्रेम और विवाह के देवता)

गुण: राजस

प्रतीक: बिस्तर

पूजा मंत्र

1. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

2. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः













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