डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम (Jalandhar Municipal Corporation) पर कुछ ठेकेदार खासे मेहरबान हैं। इसे मेहरबानी कही जाए या फिर करोड़ों रुपए के विकास कामों का एस्टीमेट बनाने वाले इंजीनियरों की नामसझी, जिनके बनाए गए एस्टीमेट की आधी कीमत पर भी नगर निगम के ठेकेदार काम करने को तैयार हो जाते हैं। निगम इंजीनियरों ने ग्लोब कालोनी की सीसी वर्क का एस्टीमेट 6.7 लाख रुपए का बनाया था, ठेकेदार उसे महज 3.62 लाख में करने को तैयार है। यानि ठेकेदार ने करीब 46 फीसदी की छूट निगम को दे डाली है।
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ये प्रस्ताव और एस्टीमेट जालंधर (Jalandhar) नगर निगम के बीएंडआर ब्रांच के इंजीनियरों ने एफएंडसीसी के एजैंडा में भेजा है। एफएंडसीसी की बैठक 14 जुलाई को मेयर वनीत धीर की अगुवाई में होगी। इसके मेंबर सीनियर डिप्टी मेयर बलबीर सिंह बिट्टू, डिप्टी मेयर मलकीत सिंह, पार्षद कविता सेठ और हितेश ग्रेवाल हैं। इसमें नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन भी शामिल होते हैं।

मुकेश चोपड़ा सबसे ज्यादा दरियादिल!
एफएंडसीसी के एजैंडे में कुल 18 प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। प्रस्ताव संख्या 66 से 83 तक आईटम शामिल किया है। प्रस्ताव संख्या 68 में करोड़ों रुपए के विकास काम के प्रस्ताव शामिल है। इसमें ठेकेदार मुकेश चोपड़ा, ठेकेदार जयशंकर, ठेकेदार जतिंदरपाल सिंह, ठेकेदार तरविंदर पाल सिंह, ठेकेदार आकाश, ठेकेदार जसविंदरजीत सिंह, ठेकेदार एसएस इंजीनियर्स एंड बिल्डर्स, ठेकेदार कपिल सलूजा, तेज मोहन सोसाइटी ने दरियादिली दिखाई है।
ये एसे ठेकेदार हैं, जिन्होंने 35 से लेकर 46 फीसदी कम कीमत पर काम करने को तैयार हैं। सबसे बड़ा दिल दिखाया है कि ठेकेदार मुकेश चोपड़ा ने। मुकेश चोपड़ा ने कई कामों को 46 फीसदी से कम कीमत पर करने को टैंडर भरा है। इसके अलावा तरविंदर पाल सिंह ने भी निगम पर दरियादिली दिखाई है। लेकिन जानकारों का कुछ और ही मानना है।
46% छूट देना बड़ी बात
नगर निगम से रिटायर्ड इंजीनियर की माने तो 16 फीसदी तक छूट स्वाभाविक माना जा सकता है, लेकिन किसी काम को 46 फीसदी तक छूट पर करना, कहीं न कहीं दाल में काला है। इससे सीधे सीधे करोड़ों रुपए के विकास कामों का एस्टीमेट बनाने वाले इंजीनियरों पर सवालिया निशान लगता है। जो काम 3 लाख रुपए में हो सकता है, उसका एस्टीमेट इंजीनियरों ने 6 लाख कैसे बना दिया? अगर ठेकेदार उस काम को 3 लाख में करने को तैयार है, तो समझिए कि कहीं न कहीं एस्टीमेट में गड़बड़ी है।
निगम के एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर एस्टीमेट सही है तो ठेकेदार काम में जरूर गड़बड़ी करेगी। कोई 6 लाख वाला काम 3 लाख रुपए में कैसे सही कर सकता है। अगर काम 3 लाख में होगा तो उसकी गुणवत्ता सही नहीं होगी। सवाल यही है कि अगर एस्टीमेट सही तो काम की गुणवत्ता खराब होगी, अगर एस्टीमेट गलत है तो कहीं न कहीं .ह बड़ा स्कैंडल है।
फिलहाल मेयर वनीत धीर की नजरें चौकस है। पिछली एफएंडसीसी की बैठक में भी मेयर वनीत धीर ने कई ऐसे काम पकड़े तो जिसमें गड़बड़ी की आशंका, जिसे उन्होंने पोस्टपोन कर दिया था। मेयर वनीत धीर और उनकी टीम निगम अफसरों के हर एक एस्टीमेट पर गंभीरता से विचार करती है, जिससे कई एसे कामों को रोका गया, जिससे निगम के खजाने पर असर पड़ सकता था।
इन प्रस्तावों में छूट की दरियादिली
















