UP News: देश की विविधता को एकता में बांधने का सबसे बड़ा आयोजन है महाकुम्भ

Daily Samvad
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Maha kumbh

डेली संवाद, महाकुम्भ नगर। UP News: तीरथ राज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य त्रिवेणी के महाकुम्भ (Maha Kumbh) के बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता। खुद में यह अद्भुत, अविस्मरणीय और अकल्पनीय है। यहां सिर्फ दो नदियों का पवित्र संगम ही नहीं, अध्यात्म और विज्ञान का भी संगम है।

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भारत की विराट संस्कृति और बेहद संपन्न धर्म एवं अध्यात्म का जीवंत स्वरूप है वैश्विक समागम के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुम्भ का। महाकुम्भ देश की विविधता को एकता में बांधने का सबसे बड़ा आयोजन है। यहां धर्म,कर्म अध्यात्म,भक्ति, उपासना, दर्शन सब कुछ है। साथ ही इस सबका अद्भुत समावेश भी। महाकुम्भ अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक का उदघोष है।

Mahakumbh
Mahakumbh

मानवता के सबसे बड़े संगम महाकुम्भ का स्वरूप

यहां उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरा भारत मौजूद है। सिर्फ भारत ही क्या संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, रूस, फिजी, मॉरीशस, ट्रिनिडाड, टोबेको, फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया सिंगापुर, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ग्रीस दुबई सब कुछ है।

इसके इसी विशालता के कारण 2017 यूनेस्को ने कुंभ मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया। यूनेस्को की मान्यता योगी की ब्रांडिंग और कुंभ 2019 के सफल आयोजन से वैश्विक आकर्षण का और बड़ा केंद्र हो गया।

Yogi Adityanath, Chief Minister of Uttar Pradesh
Yogi Adityanath, Chief Minister of Uttar Pradesh

महाकुम्भ की सफलता एक सन्यासी का संकल्प

उल्लेखनीय है कि 2017 में ही प्रदेश को योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला जो मूलतः सन्यासी हैं। वह गोरखपुर स्थित उत्तर भारत की प्रमुख पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। स्वाभाविक है धर्म, आध्यात्म और योग उनके रुचि के विषय हैं। इसकी वजह से उन्होंने 2019 के कुंभ के सफल आयोजन को मिशन बना लिया।

आयोजन सफल भी रहा। अब जब 2025 में महाकुम्भ का आयोजन चल रहा है तब योगी और भी शिद्दत से इसके आयोजन में लगे हैं। उन्होंने कुंभ को तकनीक के इस युग में डिजिटल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। सुरक्षा और सफाई शुरू से उनकी प्रतिबद्धता रही है। वह इस आयोजन में भी दिख रही है।

Ganga River
Ganga River

गंगा की रेती पर बसा है एक संसार

गंगा की रेती पर कुछ दिन के लिए ही सही पूरा संसार बसा है। ऐसा संसार जिसमें सबके रहने और खाने का इंतजाम है। रात होते ही रेती पर जगमग तंबुओं के यह संसार झक रोशनी से और निखर जाता है। जगह धर्म, अध्यात्म और भक्ति की गंगा प्रवाहित होने लगती है।

तड़के पवित्र संगम या मोक्षदायिनी, पापनाशिनी गंगा में डुबकी लगाने वाले हाथ जोड़े, श्रद्धा से सिर झुकाए धर्म और अध्यात्म के इस संगम में गोता लगाते हैं। अपलक आंखों से उनको देख किसी फिल्म का यह गीत बरबस याद जाता है,”अभी न जाओ छोड़ के कि दिल अभी भरा नहीं।

prayagraj mahakumbh
prayagraj mahakumbh

महाकुम्भ आपको बुला रहा

जन मन का यह आयोजन आपको भी बुला रहा है। जरूर जाइए। आप देखेंगे कि यहां किसी से भेद नहीं होता। यहां लोगों के ललाट पर लगे चंदन के बीच के टीकों को देखिए। इन पर निज श्रद्धा के अनुसार राधे राधे, जय श्रीराम, हर हर महादेव, हर हर गंगे, राधा कृष्ण सब मिल जाएगा। महाकुम्भ में आने वाले सबका एक ही मकसद है।

पावन संगम में डुबकी लगाकर पापमुक्त होने और मोक्ष का। कुछ स्नान करने आ रहे हैं तो अगले को बिना पूछे बता रहे हैं कि आपको कहां कैसे जाना है। कुछ जिनको अभी स्नान करना है, वह संगम का पता पूछ रहे है। बताने वाला पूरे इत्मीनान से उनको बता भी रहा है। यहां के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में शांति है, सकून है और तीरथराज की ऊर्जा भी।

खुद के साथ लोककल्याण की भावना भी। अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक के अनुरूप। गंगा की हिलोरें लेती धारा यमुना की अगाध जलराशि आपको पुण्य की डुबकी लेने को आमंत्रित करती हैं। इधर रेती में तंबूओं में बसा मनुष्यों का सैलाब संगम में समाने को आतुर रहता है।

इस अहसास की कल्पना वही कर सकता जिसने कुंभ को देखा हो। उसकी भावनाओं को आत्मसात किया हो। यह करने के लिए प्रयागराज का यह महाकुम्भ अब भी आपको बुला रहा है। योगी सरकार भी आपके स्वागत सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने को आमादा है।















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