डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम (Municipal Corporation Jalandhar) के बिल्डिंग ब्रांच (Building Branch) के कुछ अफसर करप्शन में डूबे हुए हैं। इन अफसरों को न तो मेयर वनीत धीर (Mayor Vaneet Dhir) का खौफ है और न ही निगम कमिश्नर गौतम जैन (Gautam Jain, IAS) के किसी आदेश की परवाह है। जिससे अवैध रूप से कामर्शियल इमारतें बनवा कर करोड़ों रुपए की वसूली की जा रही है।
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मामला जालंधर (Jalandhar) के डिफेंस कालोनी (Defence Colony) के मोड पर बनी एक इमारत की है। इस इमारत के मालिक ने बिल्डिंग तैयार होने के बाद कंपलीशन सर्टिफिकेट लेकर इमारत का नक्शा ही बदल डाला। इमारत मालिक ने पास करवाए गए नक्शे के विपरीत बेसमेंट पार्किंग को पूरी तरह से बंद कर शटर लगा लिया।

डिफेंस कालोनी रेजीडेंट सोसाइटी ने की शिकायत
इसकी शिकायत डिफेंस कालोनी रेजीडेंट सोसाइटी ने नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन से की। शिकायत में कहा गया कि निगम अफसरों की मिलीभगत से इमारत मालिक ने बेसमेंट में पार्किंग में दीवार चुनवाकर पूरी पार्किंग ही बंद कर दी। इसके साथ ही इस पर शटर लगा दिया गया, जबकि बिल्डिंग बायलाज के अनुसार ये गलत है।
डिफेंस कालोनी के लोगों ने कहा कि मोड पर कामर्शियल इमारत में पार्किंग न होने से भारी जमा लगेगा। कालोनी के लोगों ने कहा कि डिफेंस कालोनी ने तीन बड़े शिक्षण संस्थान है, जिससे छात्रों और बस यहीं से होकर जाती है। अगर पार्किंग बंद कर दी गई तो गाड़ियां सड़क पर खड़ी होगी, जिससे पूरा डिफेंस कालोनी जाम में फंस जाएगा।

कमिश्नर ने सील के आदेश दिए
नगर निगम के कमिश्नर गौतम जैन से इस इमारत पर कार्ऱवाई के लिए एमटीपी इकबालप्रीत सिंह रंधावा को आदेश दिया था। एमटीपी इकबालप्रीत सिंह रंधावा ने बताया कि इसपर कार्रवाई के लिए एटीपी विनोद कुमार को लिखा गया है। एटीपी ने इंस्पैक्टर को कार्रवाई के लिए लिखा। जबकि इस संबंध में अभी तक कोई कार्ऱवाई नहीं हुई।
डिफेंस कालोनी के लोगों ने आरोप लगाया कि निगम के कुछ अफसरों ने इमारत मालिक से लाखों रुपए रिश्वत लेकर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कालोनी के लोगों ने कहा है कि नगर निगम के अफसर रिश्वत लेकर पूरे डिफेंस कालोनी को बर्बाद करने का ठेका ले लिया है।

निगम अफसरों के साथ सेटलमेंट हो गया
इस संबंध में इमारत मालिक गुरविंदर ने बताया कि उनका सैटलमेंट हो गया है। निगम अफसरों के साथ उनका सैटलमेंट हो चुका है। हैरानी की बात तो यह है कि अवैध इमारत की सैटलमेंट कैसे हो सकता है, इसका जवाब निगम अफसरों के पास भी नहीं है।


