डेली संवाद, मानसून न्यूज़। Monsoon news: भारत में मानसून आमतौर पर 1 जून से 30 सितंबर तक होता है। इस हिसाब से 75% मानसून गुजर चुका है। पूरे देश में इस बार सामान्य से 11% कम बारिश हुई है। इसमें सबसे बड़ा योगदान अगस्त महीने का रहा।
मौसम विभाग के मुताबिक अगस्त में आमतौर पर जितनी बारिश होती है, इस बार उससे 36% कम हुई है। पिछले 120 सालों के डेटा को देखें तो ये सबसे ज्यादा सूखा अगस्त बन गया है।
देश के कई राज्यों में कम बारिश होने की वजह क्या है?
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह के मुताबिक अगस्त 2023 में भारत में कम बारिश होने की दो वजह हैं…
1. अल-नीनो का सक्रिय होना। जिसकी वजह से अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाएं उतनी मजबूत नहीं रहीं। जब-जब अलनीनो सक्रिय होता है, तब-तब भारत में मानसून कमजोर पड़ जाता है। इसकी वजह से देश के कई राज्यों में सूखा पड़ जाता है।
2. बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवा उत्तर की तरफ शिफ्ट हो गई। मानसून ट्रफ लाइन का एक सिरा हिमालय की तराई में चला गया। इसकी वजह से हिमालय की तराई में ज्यादा बारिश हुई, बाकी हिस्सों में कम। बंगाल की खाड़ी में भी बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम नहीं बना।
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भारत में हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से आने वाली मानसूनी हवाएं सबसे ज्यादा बारिश करती हैं। अल-नीनो मानसून की इन हवाओं को कैसे कमजोर कर देता है, इस पर साइंटिस्ट गहराई से रिसर्च कर रहे हैं। इसका असर कभी ज्यादा होता है तो कभी कम, लेकिन हर बार मानसून पर इसका बुरा ही असर पड़ता है।
पिछले 65 सालों में 14 बार अल-नीनो प्रशांत महासागर में सक्रिय हुआ है। इनमें 9 बार भारत में बड़े स्तर पर सूखा पड़ा। वहीं, 5 बार सूखा तो पड़ा, लेकिन इसका असर हल्का रहा।
मेट्रोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज स्काईमेट के प्रेसिडेंट जी.पी. शर्मा ने इस बात की संभावना जताई है कि 2023 में 1991 जैसी परिस्थिति बन सकती है। दरअसल, सामान्य से अगर 10 फीसदी कम बारिश होती है तो मौसम विज्ञान की परिभाषा में उसे माइल्ड ड्राउट या मध्यम सूखा वर्ष कहते हैं।
जी.पी. शर्मा का कहना है कि जिस तरह से इस साल फरवरी और मार्च के मौसम में ही भीषण गर्मी पड़ने लगी। इससे अल-नीनो के मजबूत होने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है। अगर ऐसा हुआ तो पहले से पानी की कमी से परेशान कई राज्यों के लोगों के लिए मुसीबत और ज्यादा बढ़ सकती है।
देश के 9 राज्यों में कम मानसूनी बारिश से आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?
देश में खरीफ फसल की बुआई जून से अगस्त के बीच होती है। जून-जुलाई में होने वाली बारिश से ही ये तय होता है कि देश में कितनी पैदावार होगी। वहीं, अगस्त और सितंबर में होने वाली बारिश से ही देश के ज्यादातर तालाब, जलाशय और ग्राउंड वाटर रिचार्ज होते हैं। ऐसे में सामान्य से कम बारिश होने से आम लोगों पर कुछ इस तरह से असर पड़ेगा…
1. फसलों की बुआई कम जमीन पर होने की वजह से पैदावार में कमी
1 जुलाई 2023 तक सरकारी गोदामों में 71.1 मिलियन टन चावल और गेहूं का भंडार था, ये बीते 5 साल में सबसे कम है। हालांकि, सामान्य सालों में जब अच्छी फसल होने की उम्मीद हो और चुनाव सामने नहीं हो तो इतना अनाज का भंडार पर्याप्त होता है, लेकिन इस बार कम बारिश से पैदावार भी कम होने की संभावना है और चुनाव भी सामने है। ऐसे में कम बारिश होने का सीधा असर अनाज भंडार पर पड़ना तय है।
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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने में कम बारिश की वजह से महंगाई बढ़ने की संभावना ज्यादा हो गई है। खाने के सामानों की कीमत बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है।
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट देविंदर शर्मा का कहना है कि अगस्त के महीने में अलनीनो की शुरुआत हुई है। मतलब साफ है कि इसका असर सिर्फ इस सीजन में नहीं बल्कि अगले सीजन में भी पड़ेगा। खरीफ के बाद अब रबी फसल की बुआई के समय भी किसान विपरीत परिस्थितियों का सामना करेंगे।
इसकी वजह से स्वाभाविक है कि अनाजों की कीमत बढ़ेगी। अगर किसानों को अपने फसल की सही कीमत मिलती है तो किसान इस पैसे को अपने बाकी कामों में खर्च करेंगे। इससे बाजार में बैलेंस बना रहेगा, लेकिन किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिला तो महंगाई आसमान छू सकती है। इसका सबसे ज्यादा असर गांव में रहने वाले किसानों पर ही पड़ेगा।
2. कमजोर अर्थव्यवस्था का अनुमान
चुनावी सालों में अगर कम बारिश होती है तो तमाम एजेंसियां देश की इकोनॉमी को लेकर अनुमान लगाने लगती हैं। इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। उम्मीद से कम बारिश की वजह से 2015-16 में महंगाई दर 6.2% और 2014-15 में 4.3% बढ़ गई थी। ऐसे में साफ है कि इस बार भी कम बारिश हुई तो खाने-पीने की चीजों की कीमत बढ़ेगी।
3. शेयर बाजार पर निगेटिव असर
बारिश कम होने से जब महंगाई बढ़ती है तो इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय रिजर्व बैंक ब्याज दर में बदलाव करता है। इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता है। निवेशक उस बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं, जहां स्थिरता हो। ऐसे में सूखा पड़ने पर बाजार की अस्थिरता को देखते हुए निवेशक दूसरी जगह पैसा लगाना पसंद करेंगे।
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जिन 8 राज्यों में सबसे ज्यादा सूखे की संभावना है, वहां कम फसलों की बुआई होगी। हालांकि मानसून के शुरुआती तीन हफ्तों में उम्मीद के मुताबिक फसलों की बुआई हुई है। उसके बाद बारिश कम होने से बुआई में कमी जरूर आई है।
एक अच्छी बात ये है कि प्रमुख कृषि राज्य हरियाणा, पंजाब में भी इस बार सतलुज, घाघरा और यमुना नदी के किनारे इस बार काफी धान की बुआई होने की खबर आ रही है। हिमाचल के कुछ इलाकों में भी धान की अच्छी बुआई हुई है। ऐसे में सूखे वाले राज्यों को छोड़कर अगर बाकी राज्यों में अगस्त के आखिरी सप्ताह में अच्छी बुआई हुई तो पैदावार की भरपाई हो सकती है।
देश में अगले कुछ दिनों में बारिश होने की क्या संभावनाएं हैं?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 31 अगस्त को बताया है कि अगस्त 2023 में 162.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो आमतौर पर इस महीने होने वाली बारिश से 36% कम है। हालांकि मौसम विभाग ने सितंबर महीने में पूरे देश में सामान्य बारिश की संभावना जताई है।
IMD ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि पूर्वोत्तर भारत, पूर्वी भारत, हिमालय की तलहटी और पूर्व-मध्य भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। वहीं, सितंबर में भी देश के बाकी हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
6 सितंबर को दिल्ली में बहुत हल्की बारिश की संभावना है। हालांकि अगले सप्ताह यहां अधिकतम तापमान 35 या 36 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है।
अगले पांच दिनों में ओडिशा, छत्तीसगढ़ में सक्रिय मानसून की स्थिति रहेगी। जबकि सितंबर के पहले दो सप्ताह में पूर्वोत्तर भारत, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी तेज वर्षा की संभावना है।
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह के मुताबिक पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में अब मानसूनी बारिश का समय खत्म हो रहा है। यही वजह है कि सितंबर में इन राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।