डेली संवाद, अमृतसर। Punjab News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता प्रो. सरचांद सिंह ख्याला ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सिख कैदी प्रो. दविंदर पाल सिंह भुल्लर को खालसा सृजना दिवस बैसाखी से पहले रिहा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर भुल्लर पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे और अब वह पिछले 13 वर्षों से अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद हैं और खराब स्वास्थ्य के कारण उनका इलाज चल रहा है।
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वह अब तक 29 साल जेल में बिता चुके हैं। प्रो. भुल्लर के जेल रिकॉर्ड में कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं है। इसलिए प्रोफेसर भुल्लर अब शीघ्र रिहाई के हकदार हैं। मुख्यमंत्री के अलावा दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और सिख कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा को भेजे पत्र में प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि पिछली अरविंद केजरीवाल सरकार प्रो. भुल्लर की रिहाई का श्रेय नहीं ले सकी। अब दिल्ली की जनता, जिसमें पंजाबियों और सिखों की बड़ी आबादी है दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास जताया है और उसे विजय दिलाई है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्तमान दिल्ली सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं मानवीय आधार पर निर्णय लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा 2019 में जारी अधिसूचना को लागू करेगी तथा हर पहलू पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी और प्रो. भुल्लर की तत्काल रिहाई के लिए ‘सजा समीक्षा बोर्ड’ की बैठक बुलाने के अलावा अन्य आवश्यक कदम उठाएगी।
राजनीति में भी ज्वलंत और चर्चा का विषय बना हुआ
प्रो. सरचांद सिंह ने कहा कि सिख कैदियों (बंदी सिंहों) की रिहाई का मुद्दा पिछले कुछ समय से न केवल पंजाब और सिख समुदाय में बल्कि देश की राजनीति में भी ज्वलंत और चर्चा का विषय बना हुआ है। सिख कैदियों का मामला एक जटिल कानूनी मामला होने के साथ-साथ सिख समुदाय के लिए भावनात्मक मामला भी है। बंदी सिंह या सिख राजनीतिक कैदी वे सिख कैदी हैं जो 1980 के दशक से जुड़े सिख संघर्ष/अलगाववादी आंदोलन के प्रभाव में विभिन्न अपराधों के लिए जेलों में हैं।
साधारण घरों से आने वाले सिख युवा
ये साधारण घरों से आने वाले सिख युवा हैं, जो उस दौरान कांग्रेस सरकारों के राजनीतिक भेदभाव और उनके द्वारा पैदा की गई दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के शिकार हुए और हिंसा के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हुए। विचाराधीन सिख कैदी हमारे देश के निवासी हैं। आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई राज्य के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं है। सिख कैदियों को रिहा करने का निर्णय राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है।
पर्व पर एक अधिसूचना जारी की
इसलिए सिख समुदाय की मांग को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने नवंबर 2019 में गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर एक अधिसूचना जारी की। सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 और अनुच्छेद 161 के तहत क्रमशः राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपाल में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एक सिख कैदी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने और 8 सिख कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरुण सोबती ने अपने पत्र दिनांक 11 अक्टूबर 2019 (पीए/एएसएच 2290/0, दिनांक 11/x/19, जिसकी एक प्रति संयुक्त सचिव में स्पष्ट रूप से 9 सिख कैदियों का उल्लेख किया है। इनमें से अब तक 6 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। जिन दो कैदियों को अभी तक रिहा नहीं किया गया है, उनमें एक प्रोफेसर दविंदरपाल सिंह भुल्लर पुत्र बलवंत सिंह, निवासी दयालपुरा झुग्गीयां, थाना दयालपुरा, जिला बठिंडा, पंजाब है, जिसे दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय के बाहर हुए विस्फोट में दोषी पाया गया था और विशेष टाडा अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
आप सरकार ने रिहाई में बाधा डाली
प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई दिल्ली के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में आती है। पिछली बार, दिल्ली में श्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई में बाधा डाली थी। भुल्लर का मामला दिल्ली सरकार के सात सदस्यीय ‘सजा समीक्षा बोर्ड’ (एसआरबी) के समक्ष कम से कम सात बार रखा गया ताकि उसकी समयपूर्व रिहाई को मंजूरी के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल के पास भेजा जा सके। लेकिन कोई सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं हुआ।






