डेली संवाद, जालंधर। Shardiya Navratri 2023: नवरात्र का आज छठवां दिन है। शारदीय नवरात्र के छठे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में अवस्थित रहता है। साधक इस चक्र में रहकर मां की साधना करते हैं।
ये भी पढ़ें: ट्रैवल एजैंट विनय हरि के खिलाफ DCP से शिकायत, FIR दर्ज करने की मांग
सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां कात्यायनी बेहद दयालु और कृपालु हैं। अपनी कृपा -दृष्टि साधकों पर बरसाती रहती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साधक श्रद्धा भाव से मां की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी मां की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के छठे दिन इस विधि से मां कात्यायनी की पूजा करें।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि 20 अक्टूबर को देर रात (अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से) 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और रात 11 बजकर 24 मिनट तक है। इसके पश्चात, सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। अतः साधक दिन भर माता की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पूजा विधि
शारदीय नवरात्र के छठे दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। आसान शब्दों में कहें तो स्नान करने वाले पानी में गंगाजल मिला लें। स्नान-ध्यान कर आचमन करें।
इसी समय व्रत संकल्प लें और नवीन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इस समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब निम्न मंत्रों से मां कात्यानी का आह्वान करें-
– चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
– या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसके पश्चात, पंचोपचार कर मां कात्यायनी की पूजा विधि विधान से करें। मां को लाल रंग अति प्रिय है। अतः मां को लाल रंग के फूल और फल अर्पित करें। साथ ही फल, फूल, पान, सुपारी, दूर्वा, तिल, जौ, अक्षत आदि से मां की पूजा करें। विवाहित स्त्रियां सुख और सौभाग्य प्राप्ति हेतु और अविवाहित जातक शीघ्र विवाह के लिए श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें।
ये भी पढ़ें: जालंधर में खुलेआम चलता है दड़ा सट्टा, पुलिस और नेता को जाता है ‘हफ्ता’
इस समय दुर्गा चालीसा, कवच और स्त्रोत का पाठ करें। अंत में मां आरती कर सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्ति की कामना करें। मनोकामना पूर्ति हेतु दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।