Navratri 2022: आज नवरात्री के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, आईये जानते है उनके स्वरूप और उनके मंत्र के बारे में

Daily Samvad
4 Min Read

डेली संवाद, चंडीगढ़। Navratri 2022: आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने वाले साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है। मां कालरात्रि का पूजन मात्र करने से समस्त दुखों एवं पापों का नाश हो जाता है। मां कालरात्रि के ध्यान मात्र से ही मनुष्य को उत्तम पद की प्राप्ति होती है साथ ही इनके भक्त सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाते हैं।

ये भी पढ़ें: निगम चुनाव में AAP की नैया डुबाने को रची जा रही है बड़ी साजिश

मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ यानी गधा है, जो सभी जीव-जंतुओं में सबसे ज्यादा मेहनती माना जाता है। मां कालरात्रि अपने इस वाहन पर पृथ्वीलोक का विचरण करती हैं। कहा जाता है कि मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं यानी मां के उपासक की अकाल मृत्यु नहीं होती है। मां कालरात्रि का पूजन मात्र करने से समस्त दुखों एवं पापों का नाश हो जाता है। देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू-रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।

ये भी पढ़ें: जालंधर के करोड़पति का कारनामा, केएल सहगल मैमोरियल के नाम पर सरकारी जमीन हथियाई

मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। मां के गले में माला है जो बिजली की तरह चमकते रहती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। माता का यह स्वरूप उपासकों को काल से भी बचाता है अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। कालरात्रि साधक को ज्ञान देती हैं कि अपने क्रोध का उपयोग स्वयं की सफलता के लिए कैसे करना है।

मंत्र

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
ॐ कालरात्र्यै नम:
ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

मां कालरात्रि पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर साफ वस्त्र पहनें और माता का ध्यान करें। माता की पूजा भी अन्य दिनों की तरह होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा शुरू करने से पहले उन्हें कुमकुम, लाल पुष्प और रोली लगाएं। इसके बाद माता को नींबुओं की माला और गुड़हल की फूल पहनाएं और फिर उनके आगे तेल का ही दीपक जलाएं। इस दिन मां को लाल फूल अर्पित करने का विधान है। साथ ही इस दिन माता की आरती के बाद सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, काली पुराण, काली चालीसा, अर्गला स्तोत्रम, का पाठ करना चाहिए। माता को पूजा में गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए।

आखिर डालर इतना मजबूत क्यों हो रहा है। देखें VIDEO

https://youtu.be/9Kf9SX1O7Vg















Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *