डेली संवाद, लंदन। Nishan Sahib: श्री अकाल तख्त साहिब (Sri Akal Takht Sahib) द्वारा जारी आदेश के अनुसार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने निशान साहिब के चोले (पोशाक) के रंग को बदलने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सिख धर्म की रहन-सहन और धार्मिक प्रतीकों की मर्यादाओं के अनुसार लिया गया है।
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नए दिशा-निर्देशों के तहत, निशान साहिब के चोले का रंग अब बसंती (पीला) या सुरमई (ग्रे) होना चाहिए। इस निर्णय ने विदेशों में बसे सिख समुदाय के बीच विवाद पैदा कर दिया है। इंग्लैंड और ग्रीस में स्थित कई गुरुद्वारे इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं।
यह मुद्दा विशेष रूप से संवेदनशील बन गया
उनका कहना है कि SGPC ने इस मुद्दे पर विदेशों के सिख समुदाय से कोई सलाह नहीं ली और इस प्रकार का निर्णय लेकर उन्होंने उनकी भावनाओं की अनदेखी की है। यह विवाद यह दर्शाता है कि सिख समुदाय के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग विचारधाराएं हो सकती हैं।
विदेशों में बसे सिख समुदाय, विशेषकर यूके और ग्रीस, में यह मुद्दा विशेष रूप से संवेदनशील बन गया है। जहां एसजीपीसी इसे सिख मर्यादा के अनुसार सही मानती है, वहीं विदेशों में बसे सिख संगत इसे अनावश्यक मानते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।
इंग्लैंड में SGPC के फैसले खिलाफ बगावत
अमृत संचार जत्था यूके के पंज प्यारे, भाई बलदेव सिंह, ने इंग्लैंड में इस बदलाव के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने बताया कि इंग्लैंड में 300 से अधिक गुरुद्वारे हैं, और इनमें से किसी को भी इस बदलाव के बारे में सूचित नहीं किया गया था।
भाई बलदेव सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों से इंग्लैंड और जर्मनी में अमृत संचार का काम किया है और उनका मानना है कि इस बदलाव से सिख समुदाय में भ्रम और असहमति बढ़ रही है।
ग्रीस के सिखों ने ठुकराया फऱमान
ग्रीस के गुरुद्वारा साहिब कुपी के प्रमुख निहाल सिंह ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है। उनके अनुसार, ग्रीस में 15 गुरुद्वारे हैं, और सभी की बैठक बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी।
बैठक में निर्णय लिया गया कि वे निशान साहिब के चोले के रंग में कोई बदलाव नहीं करेंगे। उनका मानना है कि एसजीपीसी ने इस विषय पर ग्रीस के सिख समुदाय की राय नहीं ली और यह बदलाव सिख धर्म की मर्यादाओं के खिलाफ है।
SGPC ने दी सफाई
एसजीपीसी सचिवालय ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि निशान साहिब के चोले के रंग बदलने का निर्णय नया नहीं है। उन्होंने 1936 में सिख रहित मर्यादा द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किया है, जिसमें निशान साहिब के चोले का रंग बसंती या सुरमई होने की बात कही गई है।
एसजीपीसी का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य सिख धर्म की परंपराओं और मर्यादाओं का पालन करना है, और इसमें कोई नया या अलग निर्णय नहीं लिया गया है।
संगत में भ्रम और असहमति
भाई बलदेव सिंह ने कहा कि जब वे श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मैनचेस्टर में मिले थे, तो इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। जत्थेदार ने रंग बदलने के बारे में कोई आदेश नहीं दिया था, बल्कि संगत में फैले भ्रम को दूर करने की सलाह दी थी।
इसके बावजूद, एसजीपीसी ने निशान साहिब के रंग में बदलाव शुरू कर दिए हैं, जिससे सिख समुदाय में गहरी असहमति और भ्रम उत्पन्न हो गया है।