Yes Bank के मालिकों पर अब ईडी ने कसा शिकंजा, छापेमारी शुरू, लुक आउट नोटिस जारी

Daily Samvad
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नई दिल्ली। साल 2004 में शुरू हुआ यस बैंक संकट के दौर से गुजर रहा है. कभी लगातार ऊंचाइयों को छूते रहे बैंक के शेयर धड़ाम हो गए हैं, तो वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निकासी की सीमा 50 हजार रुपये निर्धारित कर दी है. बैंक का निदेशक मंडल भंग कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को बैंक को संकट से बाहर निकालने का दायित्व सौंपा गया है।

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आरबीआई बैंक की रीस्ट्रक्चरिंग पर काम कर रहा है. वहीं, अब प्रवर्तन निदेशालय ने भी बैंक के संस्थापक और इस संकट के सामने आने से पहले बोर्ड एग्जिट कर चुके बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया है. ईडी ने राणा कपूर के घर सहित कई ठिकानों पर शुक्रवार के दिन छापेमारी की. जांच एजेंसी ने राणा के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया है।

राणा की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है

यस बैंक ने नवंबर 2019 में शेयर बाजार को यह जानकारी दी थी कि राणा बैंक के बोर्ड से पूरी तरह एग्जिट कर चुके हैं, लेकिन यह संकट रातोरात पैदा नहीं हुआ है. राणा अब भले ही यह कह रहे हों कि क्या हो रहा, उन्हें आइडिया नहीं. लेकिन उनके आवास पर हुई छापेमारी में कई सबूत ईडी के हाथ आने की जानकारी सामने आ रही है. ऐसे में जिस तरह जांच चल रही है, राणा की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है।

मूडीज ने घटाई रेटिंग

रिजर्व बैंक की पाबंदी के बाद रेटिंग एजेंसियों ने भी यस बैंक को झटका दिया. मूडीज ने बयान जारी कर आरबीआई की पाबंदी को नकारात्मक बताते हुए बैंक की रेटिंग कम कर दी. वहीं, आईसीआरए ने भी यस बैंक के टियर- II और टियर- I बॉन्ड को लेकर रेटिंग पर कैंची चला दी. गौरतलब है कि आरबीआई ने बैंक के नकदी संकट को देखते हुए 3 अप्रैल तक सिर्फ 50 हजार रुपये निकालने की छूट दी है. हालांकि यह भी साफ किया गया है कि इमरजेंसी में ग्राहक 5 लाख रुपये तक की निकासी कर सकते हैं।

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बैड लोन ने डुबोया यस बैंक?

कभी तेजी से ग्रोथ करने वाला यस बैंक इतने गहरे संकट में कैसे फंस गया, इसे लेकर चर्चा के बीच माना यह भी जा रहा है कि बैंक की इस दुर्दशा के पीछे बैड लोन की बड़ी भूमिका है. बैंक ने एलएंडएफएस, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर, दीवान हाउसिंग और कैफे कॉफी डे जैसी कई ऐसी कंपनियों को लोन दिए, जिनका वित्तीय लेनदेन का रिकॉर्ड साफ नहीं था. इन सभी कंपनियों का एनपीए रिकॉर्ड लेवल तक पहुंच गया।




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