Jalandhar News: जालंधर के नाज कांप्लैक्स के अवैध निर्माण पर कौन है ‘मेहरबान’, CM की चिट्ठी डकार गए निगम अधिकारी, पढ़ें

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: नगर निगम जालंधर में करप्शन इस कदर व्याप्य है कि मुख्यमंत्री दफ्तर से कार्रवाई के लिए भेजी गई चिट्ठी को एमटीपी दफ्तर डस्टबिन में फेंक देता है। ये कोई मामूली चिट्ठी नहीं थी, बल्कि लाखों रुपए का नुकसान करने वाले एक बिल्डर्स के खिलाफ कार्ऱवाई का आदेश था। बावजूद इसके निगम अधिकारियों ने इस चिट्ठी को न केवल दबाया, बल्कि जिस बिल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई के आदेश थे, उससे सांठगांठ कर लाखों रुपए ‘खा’ गए। इसका खुलासा खुद जालंधर सैंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने किया है।

जालंधर में मशहूर रहा नाज सिनेमा को ढहाकर नाज कांप्लैक्स बनाया गया। करीब 12 साल पहले नाज कांप्लैक्स का नक्शा पास हुआ, इमारत बनी और नगर निगम के अधिकारियों ने इमारत की कंपलीशन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। इसके बाद इस कांप्लैक्स में शुरू हुआ अवैध माल औऱ दुकानों को बनाए जाने का खेल। पिछले एक साल में यहां 2000 वर्ग फुट से ज्यादा अवैध निर्माण करवाया गया। इसकी शिकायत आस-पास के लोगों ने तत्कालीन कमिश्नर करणेश शर्मा, एसटीपी परमपाल और एमटीपी मेहरबान सिंह से करते रहे, लेकिन इन तीनों अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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सत्ता परिवर्तन के बाद लोगों ने इसकी शिकायत आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा से की। रमन अरोड़ा ने इसकी शिकायत तत्कालीन कमिश्नर करणेश शर्मा से की, लेकिन इसके बाद भी इस अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। करीब कुछ महीने पहले विधायक रमन अरोड़ा ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की, तब स्थानीय निकाय मंत्री का प्रभार मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास था। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने और संबंधित मालिक पर एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश हुए, लेकिन नगर निगम का एमटीपी दफ्तर मुख्यमंत्री के आदेश को भी दरकिनार कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि नाज कांप्लैक्स के अवैध निर्माण पर मेहरबानी ऐसे नहीं हुई, बल्कि लाखों रुपए लेकर अवैध निर्माण को संरक्षण दिया गया। इस खेल में बिल्डिंग इंस्पैक्टर से लेकर एटीपी, एमटीपी, एसटीपी और उच्च अधिकारियों की मिलीभगत है। जिससे निगम के खजाने को करारी चोट लगाई गई, साथ ही मुख्यमंत्री के आदेश की भी कोई परवाह नहीं की गई।

ये अफसर हैं इस अवैध निर्माण के जिम्मेदार

  • करणेश शर्मा, तत्कालीन निगम कमिश्नर
  • परमपाल सिंह, तत्कालीन एसटीपी
  • मेहरबान सिंह, तत्कालीन एमटीपी
  • विनोद कुमार – तत्कालीन एटीपी
  • दिनेश जोशी – तत्कालीन बिल्डिंग इंस्पैक्टर

(इन सभी अफसरों को फोन किया गया, इसमें से कुछ ने फोन उठाया और बोले कि उक्त अवैध निर्माण का सर्वे हो रहा है।)

जिन अफसरों ने एक्शन नहीं लिया, उनके तबादले हो गए

विधायक रमन अरोड़ा कहते हैं कि सिविल अस्पताल के आस-पास बनी इमारतों में पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है। नाज कांप्लैक्स में जो ओपन पार्किंग छोड़ा गया था, उस पर अवैध रूप से मार्किट बना ली गई, जिससे लोगों को पार्किंग की असुविधा होती है। लोगों ने इसकी शिकायत की थी, उसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत भेजकर अवैध बिल्डिंग के खिलाफ कार्ऱवाई की मांग की गई थी, लेकिन तब मौजूद अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब उन अधिकारियों को तबादला हो चुका है। नए अधिकारियों के आने के बाद कार्रवाई के लिए कहा जाएगा।

बिल्डिंग अवैध, डिमोलेशन या फिर सील की कार्रवाई

टैक्निकल एक्सपर्ट और बिल्डिंग ब्रांच में ड्राफ्ट्समैन से रिटायर अधिकारी कहते हैं कि नगर निगम को सीधे तौर पर लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। पहली बात तो यह कि नक्शे के अनुरूप इमारत न बनना अवैध की श्रेणी में आता है। इसलिए यह बिल्डिंग अब अवैध हो गई। 2000 वर्ग फुट जो ज्यादा कब्जा कर बनाया गया है, वह कंपाउंड भी नहीं हो सकती। इसलिए इस हिस्से की मार्किट को या तो ध्वस्त किया जाएगा या फिर सील कर दिया जाएगा।

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