डेली संवाद, चंडीगढ़। Ganga Dussehra 2024: Ganga Dussehra का पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 16 जून 2024 को पड़ रहा है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इस दिन भक्तगण माता गंगा की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) इस साल और भी खास होने वाला है क्योंकि ज्योतिष के अनुसार 100 साल बाद दुर्लभ शुभ योगों का महासंयोग बन रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इस बार के गंगा दशहरा के बारे में –
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Ganga Dussehra 2024: शुभ योगों का महासंयोग
इस साल गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) पर चार महत्वपूर्ण शुभ योगों का दुर्लभ संयोग बन रहा है –
- हस्त नक्षत्र: हस्त नक्षत्र को कलात्मक कार्यों और सफलता के लिए शुभ माना जाता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: इस योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
- अमृत सिद्धि योग: यह योग अत्यंत शुभ होता है और इस दिन किए गए कामों से अमृत फल की प्राप्ति होती है।
- रवि योग: रवि योग में सूर्य देव प्रबल होते हैं जिससे मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है।
इन चारों शुभ योगों के समावेश से इस साल का गंगा दशहरा और भी खास हो गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इन शुभ योगों का प्रभाव कुछ राशियों पर विशेष रूप से पड़ेगा।
गंगा दशहरा पर किन राशियों को होगा लाभ?
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार गंगा दशहरा(Ganga Dussehra) पर मेष, मिथुन और कुंभ राशि वालों को विशेष लाभ होने की संभावना है।
- मेष राशि: मेष राशि वालों के लिए यह गंगा दशहरा बहुत ही शुभ साबित होगा। पारिवारिक जीवन खुशियों से भरपूर रहेगा। व्यापार में तरक्की होगी और विदेश यात्रा का अवसर भी मिल सकता है।
- मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातकों के लिए व्यापार में लाभ के आसार हैं। नौकरी में प्रमोशन या वेतन वृद्धि हो सकती है। यात्रा का भी योग बन रहा है।
- कुंभ राशि: कुंभ राशि के लोगों को व्यापार में सफलता मिलेगी। नौकरीपेशा जातकों को तरक्की का मौका मिल सकता है। परिवार में खुशियां रहेंगी।
गंगा दशहरा पर पूजा विधि
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) पर पूजा करने से मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं गंगा दशहरा की पूजा विधि-
- पूजा की तैयारी: गंगा दशहरा के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर लें। साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- मूर्ति स्थापना: अब चौकी पर गंगा माता की प्रतिमा स्थापित करें। आप चाहें तो गंगाजल से भरा हुआ कलश भी स्थापित कर सकते हैं।
- पंचामृत पूजा: गंगा माता को गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
- मंत्र जाप: गंगा दशहरा के दिन “ॐ नमो गंगे दुर्गायै सार्वत्रिकाय वैष्णवये। चतुर्भुजायै च नमः॥” मंत्र का जप करना शुभ होता है। आप गंगा चालीसा का पाठ भी कर सकते है।
पूजा उपरांत
- पूजा के उपरांत आरती करें और गंगाजल का प्रसाद छिड़कें।
- आप इस दिन व्रत भी रख सकते हैं। व्रत में सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- गंगा दशहरा के दिन दान का भी विशेष महत्व है। गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन मां गंगा की पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे –
- मोक्ष की प्राप्ति
- पापों का नाश
- जीवन में सुख-समृद्धि
- कष्टों से मुक्ति
- मनोवांछित फल की प्राप्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा(Ganga Dussehra) के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। लेकिन, अगर आप गंगा नदी तक नहीं जा पा रहे हैं, तो आप घर पर ही गंगाजल का प्रयोग कर स्नान कर सकते हैं।