डेली संवाद, अमृतसर। Punjab News: पंजाब के अमृतसर (Amritsar) में आज मेयर जितेंद्र सिंह मोती भाटिया की अगुवाई में हुई सदन की बैठक में भारी हंगामे के बीच बजट को पारित कर दिया गया। अमृतसर नगर निगम में आज भारी हंगामे के बीच 459.45 करोड़ का बजट पेश किया गया। कांग्रेस के 41 पार्षदों ने हाउस बैठक में ही नारेबाजी शुरू हो गई। बावजूद इसके बजट पास कर दिया गया।
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अमृतसर (Amritsar) कांग्रेस पार्षदों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बीच मेयर मोती भाटिया के साथ आम आदमी पार्टी के समर्थक पार्षदों ने हाथ खड़ा कर बजट को पास करवाने के बाद हाउस स्थगित कर दिया। बजट पास होने के बाद अब नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन देने, डीजल-पेट्रोल की खरीद, विकास कार्य, पार्षदों के भत्ते और बिजली बिल जैसी आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा।

मेयर चुनने के समय लोकतंत्र की हत्या
उधर, कांग्रेस पार्षदों ने आरोप लगाया है कि पहले नया मेयर चुनने के समय लोकतंत्र की हत्या हुई और आज बजट पास करते समय फिर वही हुआ है। कांग्रेस पार्षदों के अनुसार, जैसे ही नगर निगम हाउस की बैठक शुरू हुई मेयर मोती भाटिया ने मेयर प्रस्ताव पेश किया। पूरे आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने भी समर्थन नहीं किया।
कांग्रेस के 41 और भाजपा के 8 व अकाली दल के 4 पार्षदों ने भी इसे मंजूरी नहीं दी। लेकिन शोर मचाते हुए मेयर व कमिश्नर वहां से चले गए कि बजट पास हो गया है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी लोकतंत्र की हत्या करने में जुटी है।

धरने पर बैठे कांग्रेसी पार्षद
कांग्रेस के बजट सत्र में विरोध करने का पहले भी अनुमान था। जिसके चलते भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। जैसे ही मेयर, AAP पार्षद और कमिश्नर हाउस से निकले, कांग्रेस पार्षदों ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र का विरोध बताया। कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और अनुमान है कि जल्द न्याय मिलेगा व अमृतसर को नया मेयर मिलेगा।

हंगामे की असली वजह
कांग्रेस पार्षदों के अनुसार, आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर जितेंद्र सिंह मोती भाटिया के पास इस समय बहुमत नहीं है। हाउस में कुल 85 पार्षद और 7 विधायक सदस्य हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी के 24 पार्षद हैं, जिन्हें 7 आजाद पार्षदों और 2 भाजपा पार्षदों का समर्थन प्राप्त है।
इसके अलावा, कांग्रेस के 40 पार्षद और 1 आजाद पार्षद कांग्रेस के समर्थन में हैं, जबकि भाजपा के 7 और अकाली दल के 4 पार्षद हाउस में मौजूद हैं। यही दलील लेकर कांग्रेस के मेयर पद के दावेदार रहे विकास सोनी इस मामले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में ले जा चुके हैं।


