डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab Election: पंजाब (Punjab) में लोकल चुनाव (Election) करवाने को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में पंजाब सरकार (Punjab Government) की तरफ से तत्काल चुनाव करवाने की मांग की गई है।
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इसके साथ ही PIL में 10 अगस्त 2023 की पूर्व अधिसूचना के बावजूद राज्य की तरफ से कोई प्रयास ना किए जाने को चुनौती दी गई है। याचिका कर्ताओं ने मांग की है कि पंचायत समितियों, जिला परिषदों और ग्राम पंचायतों को जल्द करवाया जाए।
ग्राम पंचायतों के भंग होने के बाद भी चुनाव नहीं
आपको बता दें कि 10 अगस्त 2023 की पूर्व अधिसूचना के अनुसार 25 नवंबर, 2023 तक पंचायत समितियां व जिला परिषद और 31 दिसंबर, 2023 तक ग्राम पंचायतों के चुनाव होने थे। याचिकाकर्ता रुलदा सिंह ने वकील दिनेश कुमार और शिखा सिंगला के माध्यम से दलील दी है कि जनवरी में ग्राम पंचायतों के भंग होने के बाद भी चुनाव नहीं कराए गए हैं।
हाईकोर्ट की तरफ से PIL पर सुनवाई का फैसला किया गया है। इस मामले में कोर्ट सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता के अनुसार, चुनाव ना करवाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-ई का उल्लंघन है। इसमें पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनाव कराने का आदेश है।
याचिका में तर्क दिया गया है
याचिका में तर्क दिया गया है कि चुनाव कराने में राज्य की विफलता पंजाब पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 15 और संवैधानिक आवश्यकताओं दोनों का उल्लंघन है। जनहित याचिका में शीघ्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय से निर्देश देने की मांग की गई है।
पंजाब में 13 हजार से ज्यादा पंचायतें
राज्य में बीते साल दिसंबर के अंत में पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो गया था। इसके बाद सभी डीसी को पंचायतों का प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया गया। लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव आ गए। जिसके चलते चुनाव कराने का जोखिम नहीं उठाया गया।
राज्य में कुल 13241 पंचायतें हैं। जबकि 153 ब्लॉक समितियां और 23 जिला परिषदें हैं। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2023 को पूरा हो गया। राज्य में सबसे ज्यादा 1405 पंचायतें होशियारपुर जिले में हैं, जबकि पटियाला में 1022 पंचायतें हैं।
पंचायतें भंग करने को लेकर विवाद
पंजाब सरकार ने गत साल पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इन्हें 11 अगस्त 2023 को भंग कर दिया था। जिस वजह से विवाद खड़ा हो गया था। अधिकतर सरपंच इसके विरोध में आ गए थे। उनकी दलील थी कि छह महीने रहते हुए सरकार उन्हें हटाकर उनके अधिकारों का हनन कर रही है।
वह सरकार की तरफ से नियुक्त नहीं किए गए हैं। जबकि लोगों द्वारा चुन कर भेजे गए हैं। इसके बाद यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया था। जिसके बाद पंचायतों को दोबारा बहाल किया गया था।
नगर निगम के चुनाव भी लंबित
यही नहीं, पंजाब में पिछले डेढ़ साल से नगर निगमों के चुनाव भी नहीं करवाए जा रहे हैं। जालंधर, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला और बठिंडा समेत कई नगर निगमों के चुनाव नहीं करवाया जा रहा है। जिससे लोगों में नाराजगी है।
नगर निगम में चुनाव करवाने को लेकर कांग्रेस समेत कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई के आसार हैं। फिलहाल नगर निगमों के चुनाव को लेकर सरकार भी तैयारी में जुटी है। कहा जा रहा है कि निगम चुनाव की जल्द घोषणा हो सकती है।