डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: भारत के खूनी विभाजन को सभ्यता के इतिहास में सबसे भयावह अवधियों में से एक करार देते हुए, भाजपा पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सोमवार को व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में विश्व में कहीं भी दया, सहनशीलता और विश्वास के साथ कहीं भी कभी ऐसी घटना ना दोहराई जाए।
जाखड़ ने कहा कि युद्ध दो देशों की सेनाओं के बीच नहीं था और सबसे भयानक बात यह थी कि 1947 में हिंदू और मुस्लिम अचानक एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। उन्होंने रेखांकित किया कि आपसी नरसंहार के इस भयानक दौर से पहले, ये दोनों एक साथ रह रहे थे।
जाखड़ ने शांतिपूर्ण भविष्य बनाने के लिए सभी को अतीत से सीखने का आग्रह करते हुए कहा कि यह रक्तपात द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता के दो साल बाद हुआ और या दर्शाता है कि मानवता कोई सबक सीखने में विफल रही। यहां पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) परिसर में अपने संबोधन के दौरान वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा गया।
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जाखड़ आज युवाओं में हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए बलिदान की भावना को विकसित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर पीयू द्वारा आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने समाज से गुरु नानक साहिब के दर्शाए मार्ग को जीवन में उतारने का आग्रह करते हुए कहा कि हमारे धार्मिक गुरु चाहते हैं कि हम समतामूलक समाज बनाने के लिए उनके संदेश को आत्मसात करें।
पूर्व सांसद सुनील जाखड़ ने इस संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दे पर चर्चा आयोजित करने के लिए पीयू वीसी की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को समुदायों के बीच भाईचारे, आपसी प्रेम और सम्मान के माहौल को बढ़ावा देने के मिशन का नेतृत्व करना चाहिए। जाखड़ ने एनएएसी ए++ रैंकिंग हासिल करने के लिए वीसी और पूरे फैकल्टी को बधाई दी, जो विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए जा रहे शैक्षणिक उत्कृष्टता के उच्च मानकों को दर्शाता है।
जाखड़ ने दुनिया भर में फैली नफरत और झगड़े के कारणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारी पहचान के मामले में अंग्रेजों ने असुरक्षा का फायदा उठाया, जिसके बाद से हमारे लोगों को सांप्रदायिक आतंक का रूप धारण करना पड़ा। हमारी कमजोरी का फायदा उठाने के लिए केवल अंग्रेजों को दोषी ठहराना नादानी होगी, क्योंकि हमें नफरत और सांप्रदायिकता को पनपने देने की हमारी मूल प्रवृत्ति के कारणों को खोजने के लिए अपने भीतर गहराई से जाने की जरूरत है।
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जाखड़ ने कहा कि दुनिया भर में संघर्ष के सबसे आम रूपों में, हमारी महिलाओं को इन संघर्षों में सबसे अधिक दमनकारी हिस्से का सामना करना पड़ता है। जाखड़ ने कहा कि यह हम पर निर्भर है कि हम उन गलतियों से सीखें जो सांप्रदायिक तनाव का कारण बनती हैं और उन मानसिकताओं से बचने का संकल्प लें जो निसंदेह हम में से प्रत्येक में मौजूद हैं।
इससे पहले, पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर रेनू विज ने अपने स्वागत भाषण में युवाओं के साथ एक संवेदनशील मुद्दे पर अपने विचार और दृष्टिकोण साझा करने के लिए सुनील जाखड़ को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी भाग्यशाली है कि उन्हें उन लोगों की तुलना में सुविधाओं और संसाधनों तक अधिक पहुंच प्राप्त है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में सांस लेने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी को कड़ी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता की कद्र करनी चाहिए।