डेली संवाद, अमृतसर/लुधियाना
पंजाब में ड्राई फ्रूट किंग और विदेशों में एलमोंड किंग के नाम से जाने जाते …ब्रदर्स से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी में 200 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला है। अघोषित आय के बारे में जानकारी हासिल कर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस बात का पता लगा रहा है कि कहीं इनका पैसा टेरर फंडिंग में तो इस्तेमाल नहीं किया गया।
आयकर विभाग ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के कुछ मेवा व्यापारियों की 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की अघोषित आय का पता लगाया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार आयकर विभाग ने 28 अक्टूबर को जम्मू के एक व्यापारी के अलावा पंजाब के दो मेवा व्यापारियों के ठिकानों की तलाशी लेते हुए संबंधित दस्तावेज और लेन-देन की जांच की थी, जिसके आधार पर उक्त अघोषित आय का पता चला है।
कई वर्षाें से मेवा की बड़े पैमाने पर खरीद कर रहे थे
सीबीडीटी के अनुसार जिन लोगों ने आय छिपाते हुए कर चुराया है, वह बीते कई वर्षाें से मेवा की बड़े पैमाने पर खरीद कर रहे थे। जांच के दौरान जो दस्तावेज मिले हैं, उनके मुताबिक एक व्यापारिक समूह के निदेशकों ने मेवा की बड़े पैमाने पर हुई खरीद के लिए किए गए भुगतान में बड़ी मात्रा में नकदी प्राप्त की है। एक व्यापारी ने दो तरह के खाते तैयार किए थे। इनकी जांच के दौरान क्रय-विक्रय में भारी अंतर पाया गया है।
एक समूह सूखे मेवा की बड़े पैमाने पर खरीद में लिप्त है और उसके पास इसका कोई ज्यादा हिसाब नहीं है। जांच में 40 करोड़ रुपये मूल्य के मेवा का भंडार भी पता चला है। जब्त दस्तावेज से पता चला है कि एक व्यापारिक समूह बेनामी संपत्ति के लेन-देन में भी लिप्त है। आयकर विभाग के मुताबिक, दोनों समूहों ने 30 करोड़ रुपये का कर लाभ का भी दावा किया है। जांच में 63 लाख रुपये की अघोषित नकदी के अलावा दो करोड़ के स्वर्णाभूषण और 200 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है।
वीकेसी नट्स नामक व्यापारिक समूह
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग ने जिन व्यापारिक समूहों का जिक्र किया है, उनमें जम्मू का वीकेसी नट्स नामक व्यापारिक समूह है। इसके मालिक का नाम विजय कुमार जैन बताया जाता है। उनकी फरीदाबाद, हरियाणा में भी एक फैक्ट्री है। जम्मू के बीरपुर में भी एक फैक्टरी है, जिसमें ड्राइफ्रूट की पैकिंग होती है।
आयकर विभाग की टीमों ने उनके सभी छह ठिकानों पर सर्वे किया था। कहा यह भी जा रहा है कि पंजाब में कबड्डी में पैसा खर्च करने वाले ब्रदर्स ने अपनी आय को छुपाया था और आय के मुताबिक आयकर अदा नहीं कर रहा था। विभाग की ओर से विक्रेता को नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन उचित जवाब न मिलने पर विभाग ने यह कार्रवाई की।
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