डेली संवाद, लखनऊ। UP News: जन, जल एवं जमीन के लिए प्राकृतिक खेती जरूरी है पर यह किसानों के लिए तभी लाभप्रद होगी। जब इसे तकनीक से जोड़ा जाए। यही वजह है कि जिस मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राकृतिक खेती की चर्चा करते हैं वहां वे इसे तकनीक से जोड़ने की बात जरूर करते हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार कृषि विभाग ने इस पर काम करना भी शुरू कर दिया है।
ये भी पढ़ें: पंजाब में कई कारोबारियों के ठिकानों पर ED की Raid
इस क्रम में अब तक करीब 10 हजार किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र द्वारा वित्त पोषित नेशनल मिशन आन नेचुरल फार्मिंग योजना के तहत प्रदेश के 49 जिलों में 85710 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसमें 1714 क्लस्टर गठित कर “फार्मस फिल्ड स्कूल” कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
इसी प्रकार राज्य सेक्टर से बुन्देलखण्ड के समस्त जिलों ( बाँदा, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन, झांसी, महोबा,) में 470 क्लस्टरों (23500 हेक्टेयर) में दो चरणों में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 235 क्लस्टर गठित कर फार्मस फिल्ड स्कूल के आयोजन का कार्यक्रम वर्तमान में संचालित है। दोनों योजनाओं अन्तर्गत फार्मस फिल्ड स्कूल संचालन में कुल 93369 कृषक प्रतिभाग कर रहे है।
ये भी पढ़ें: प्रेस क्लब के अध्यक्ष और पत्रकार की गोली मारकर हत्या
मालूम हो कि प्राकृतिक खेती हमारी परंपरा के साथ जरूरत भी है। जरूरत इसलिए कि रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से हमारी धरती बांझ हो रही है। अब अधिक खाद डालने पर भी अपेक्षित पैदावार नहीं हो रही। इसी तरह फसलों को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए जिन जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है उनके प्रति रोग एवं कीट क्रमशः प्रतिरोधी होते जा रहे हैं।
लिहाजा हर कुछ साल बाद और जहरीले एवं महंगे कीटनाशकों की जरूरत पड़ रही है। इन दोनों के प्रयोग से किसानों की लागत जरूर बढ़ती जा रही है। जल, जमीन एवं जन एवं जैव विविधता को होने वाली क्षति अलग से। इन सबका समाधान है प्राकृतिक खेती। उत्तर प्रदेश के लिए तो यह और भी जरूरी है। साथ ही यहां इनकी संभावनाएं भी अधिक हैं।
दरअसल गंगा के तटवर्ती इलाको में देश के करीब 52 करोड़ लोग रहते हैं। कृषि एवं पर्यटन आदि को शामिल कर लें तो देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान करीब 40 फीसद है। देश के भौगोलिक रकबे का मात्र 11 फीसद होने के बाद अगर उत्तर प्रदेश कुल पैदा होने वाले अनाज का 20 फीसद पैदा करता है तो इसकी वजह इंडो गंगेटिक बेल्ट की वह जमीन है जिसका शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है।
गंगा का सर्वाधिक अपवाह क्षेत्र उत्तर में ही पड़ता है। बिजनौर से लेकर बलिया तक। औद्योगिक लिहाज से प्रदेश का कभी सबसे महत्वपूर्ण महानगर रहा कानपुर एवं धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान रखने वाला तीर्थराज प्रयागराज एवं तीन लोकों से न्यारी दुनियां के प्राचीनतम शहरों में शुमार काशी भी गंगा के ही किनारे हैं।
कुल मिलाकर गंगा की गोद में 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 से अधिक ग्राम पंचायतें आती हैं। इनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती की योजना गंगा को जहरीले रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों से मुक्त कराने की पहल की ही एक कड़ी है।
बेईमान अफसरों से एक-एक पैसे का हिसाब लेगी सरकार, देखें
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by DailySamvad.com
देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए डेली संवाद होम पेज पर विजिट करें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं। लेटेस्ट खबरें देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को भी सबस्क्राइब करें।
WhatsApp पर खबरें पढ़ने के लिए "अपना नाम" लिख कर मैसेज करें +91-88475-67663
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by DailySamvad.com
देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए डेली संवाद होम पेज पर विजिट करें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं। लेटेस्ट खबरें देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को भी सबस्क्राइब करें।
WhatsApp पर खबरें पढ़ने के लिए "अपना नाम" लिख कर मैसेज करें +91-88475-67663