डेली संवाद, लुधियाना। Punjab News: पंजाब (Punjab) राज्य में स्कूल (School) से वंचित रह गए बच्चों की पहचान के लिए शिक्षा विभाग (Education Department) ने 2025-26 के वार्षिक प्लान के तहत एक व्यापक घर-घर सर्वे अभियान शुरू करने की घोषणा की है। यह सर्वे 18 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच आयोजित किया जाएगा।
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इस संबंध में डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन, पंजाब ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (सेकेंडरी और प्राइमरी), ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारियों और सभी स्कूल प्रमुखों को विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। हालाँकि इस सब के बीच विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों ने विभाग के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि इस काम के लिए यह समय उचित नहीं है इसका बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बच्चों की पहचान करना
इस विशेष मुहिम का उद्देश्य 3 से 19 साल के उन बच्चों की पहचान करना है, जिन्होंने कभी स्कूल में दाखिला नहीं लिया या अपनी शिक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी।
सर्वे के दौरान गांवों, शहरी वार्डों, झुग्गियों, ईंट-भट्ठों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, निर्माण स्थलों, और अस्थायी बस्तियों में जाकर बच्चों की पहचान की जाएगी। इसमें उन बच्चों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा जो प्रवासी परिवारों, घुमंतू जनजातियों, घरेलू कामगारों या अन्य असुरक्षित स्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।
सर्वे की प्रक्रिया
इस सर्वेक्षण को एसोसिएट टीचर्स, एआईई, ईजीएस, एसटीआर वॉलंटियर्स, और शिक्षा प्रदाताओं के सहयोग से अंजाम दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर अन्य शिक्षकों की ड्यूटी भी लगाई जा सकती है। सर्वे के दौरान जुटाई गई जानकारी को ‘लाजमी शिक्षा’ और ‘पिंड/वार्ड शिक्षा रजिस्टर’ में दर्ज किया जाएगा ताकि भविष्य में इन बच्चों की समय-समय पर जांच और वेरिफिकेशन की जा सके।
जिम्मेदारियां और निगरानी
ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारी (बीपीईओ) अपने क्षेत्र में सर्वे की निगरानी करेंगे और क्षेत्रवार टीमों का गठन करेंगे। मिडल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्रमुख सुनिश्चित करेंगे कि उनके स्कूल के आसपास कोई भी क्षेत्र सर्वेक्षण से वंचित न रहे। उप जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) जिले के सभी क्षेत्रों में सर्वे की प्रक्रिया को समन्वित करेंगे और ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों के साथ बैठकें करेंगे।
सर्वे पूरा होने के बाद, सभी प्राइमरी, मिडल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से प्राप्त डेटा को 13 दिसंबर तक ‘चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम’ और ‘प्रबंधन पोर्टल’ (2025-26) पर अपडेट किया जाएगा। यदि डेटा एंट्री में कोई गलती पाई जाती है, तो संबंधित ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारी (बीपीईओ) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
इस सर्वे के लिए विभिन्न विभागों जैसे कि श्रम विभाग, सामाजिक न्याय अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास, और अन्य सामाजिक सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि सर्वेक्षण की प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो सके। सभी जिलों से प्राप्त सर्वे की रिपोर्ट को 16 दिसंबर तक जिला शिक्षा अधिकारी (एलीमेंटरी) के हस्ताक्षर सहित राज्य मुख्यालय की ईमेल आईडी पर भेजा जाएगा।
शिक्षकों की चिंताएं
हालांकि, इस सर्वे के ऐलान के बाद शिक्षकों के बीच चिंता बढ़ गई है। कई शिक्षकों का मानना है कि यह समय स्कूलों में पढ़ाई का है, क्योंकि बच्चे सालाना परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस समय स्कूलों में पहले से ही कई शैक्षिक परियोजनाएं चल रही हैं, जिससे सत्र की शुरुआत से ही बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
अगर अब शिक्षकों को इस सर्वे में लगाया जाएगा, तो बच्चों की पढ़ाई और भी बाधित हो सकती है। शिक्षकों का कहना है कि ऐसी अतिरिक्त जिम्मेदारियों के कारण कक्षाओं में पढ़ाई की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों के परीक्षा परिणामों पर हो सकता है। हालांकि, इस मामले में किसी शिक्षक का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।